The first known use of zero as a placeholder was in 7th-century India by Brahmagupta, who also defined rules for zero and negative numbers.

# **शून्य (0) का पहला प्रयोग – ब्रह्मगुप्त (7वीं शताब्दी, भारत)**  
### **हिंदी में पूरी व्याख्या – सरल भाषा में**

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## **शून्य क्या है?**
- **शून्य = कुछ नहीं**  
- लेकिन गणित में यह **"स्थान धारक" (Placeholder)** का काम करता है।  
- जैसे: **10** में **1** दहाई है, **0** इकाई दिखाता है कि वहाँ कुछ नहीं।

> **बिना शून्य के 10 लिखना मुश्किल होता!**

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## **शून्य का जन्म – भारत में**

| समय | स्थान | व्यक्ति |
|------|------|--------|
| **628 ईस्वी** | **उज्जैन (मध्य प्रदेश)** | **ब्रह्मगुप्त** |

- ब्रह्मगुप्त एक महान **भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री** थे।
- उनकी किताब: **ब्रह्मस्फुटसिद्धांत** (Brahmasphuta Siddhanta)

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## **ब्रह्मगुप्त ने शून्य के बारे में क्या लिखा?**

### **1. शून्य को पहली बार "संख्या" माना**
> **"शून्य एक संख्या है, जैसे 1, 2, 3..."**

- पहले लोग शून्य को सिर्फ **खाली जगह** समझते थे।
- ब्रह्मगुप्त ने कहा: **शून्य भी एक पूर्ण संख्या है।**

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### **2. शून्य के गणितीय नियम बनाए (पहली बार!)**

| ऑपरेशन | ब्रह्मगुप्त का नियम | उदाहरण |
|----------|------------------|--------|
| **जोड़** | **शून्य + संख्या = वही संख्या** | 0 + 5 = 5 |
| **घटाव** | **शून्य – संख्या = ऋणात्मक संख्या** | 0 – 3 = –3 |
| **गुणा** | **शून्य × संख्या = शून्य** | 0 × 7 = 0 |
| **भाग** | **शून्य ÷ संख्या = शून्य** | 0 ÷ 4 = 0 |
| **संख्या ÷ शून्य = ?** | **असंभव (अनंत या अनिर्धारित)** | 5 ÷ 0 = ? |

> **विशेष**: **ऋणात्मक संख्याएँ (–1, –2...)** भी **ब्रह्मगुप्त ने ही परिभाषित कीं!**

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## **शून्य को "Placeholder" कैसे इस्तेमाल किया?**

### **पहले (बिना शून्य)**
- रोमन अंक: **XIII = 13** (कठिन)
- बेबीलोन: खाली जगह छोड़ते थे → गलती की गुंजाइश

### **भारत में (ब्रह्मगुप्त के बाद)**
- **दशमलव प्रणाली (Decimal System)**  
- **स्थान मूल्य (Place Value)**  
- जैसे:  
  - **५०४** → 5 सैकड़ा, 0 दहाई, 4 इकाई  
  - **बिना 0 के लिखना असंभव!**

> **भारत ने दुनिया को दिया: 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9**

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## **शून्य का सफर – भारत से दुनिया तक**

| समय | कहाँ पहुँचा | कैसे |
|------|-------------|------|
| **7वीं शताब्दी** | भारत (ब्रह्मगुप्त) | सिद्धांत |
| **8वीं शताब्दी** | अरब देश | अल-ख्वारिज्मी ने अपनाया |
| **12वीं शताब्दी** | यूरोप | फिबोनाची ने लैटिन में लिखा |
| **आज** | पूरी दुनिया | कंप्यूटर, बैंक, अंतरिक्ष – सबमें शून्य! |

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## **ब्रह्मगुप्त के 5 बड़े योगदान**

| योगदान | विवरण |
|-------|-------|
| 1. **शून्य को संख्या माना** | पहली बार |
| 2. **ऋणात्मक संख्याएँ** | –1, –2 का नियम |
| 3. **द्विघात समीकरण** | ax² + bx = c का हल |
| 4. **त्रिकोणमिति** | साइन टेबल |
| 5. **खगोलशास्त्र** | पृथ्वी गोल है, गुरुत्वाकर्षण का विचार |

---

## **आधुनिक दुनिया में शून्य**

| क्षेत्र | शून्य का इस्तेमाल |
|--------|-----------------|
| **कंप्यूटर** | बाइनरी कोड: 0 और 1 |
| **बैंकिंग** | ००१२३४५६७८ – अकाउंट नंबर |
| **अंतरिक्ष** | 0 के बिना रॉकेट उड़ान की गणना नहीं |
| **भौतिकी** | 0 केल्विन = पूर्ण शून्य ताप |

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## **सन त्ज़ू से जोड़कर (आपके पिछले सवाल से)**

> **"जानो खुद को, जानो शत्रु को"**  
→ **ब्रह्मगुप्त ने "शून्य" को जाना → दुनिया ने गणित जीत लिया!**

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## **निष्कर्ष – एक वाक्य में**

> **भारत के ब्रह्मगुप्त ने 628 ईस्वी में शून्य को "संख्या" और "स्थान धारक" बनाया – जिसने पूरी दुनिया की गणित, विज्ञान और तकनीक की नींव रखी।**

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